कांग्रेस पर्यवेक्षक सपरा नहीं दे पाए ‘पैराशूट प्रत्याशी’ पर संतोषजनक जवाब

जितेंद्र जैन जीतू
राजनांदगांव। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के संगठन सृजन अभियान के तहत राजनांदगांव, खैरागढ़ और मोहला-मानपुर-चौकी जिलों के पर्यवेक्षक के तौर पर मुंबई कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह सपरा इन दिनों राजनांदगांव के दौरे पर हैं।
सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान सपरा को राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के समय ‘पैराशूट प्रत्याशी’ उतारे जाने से जुड़े तीखे सवालों का सामना करना पड़ा, जिस पर वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
पत्रकार ने सपरा से सीधा सवाल किया कि स्थानीय कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पूरे पाँच साल सड़कों पर उतरकर, धरने-प्रदर्शन कर, ‘जिंदाबाद-मुर्दाबाद’ के नारे लगाकर, लाठी-डंडे खाकर और जेल जाकर राजनीतिक संघर्ष करते हैं। लेकिन जब जनता का प्रतिनिधित्व करने (चुनाव लड़ने) का अवसर आता है, तो पार्टी बाहरी व्यक्तियों को लाकर उम्मीदवार बना देती है। स्थानीय कार्यकर्ताओं के वर्षों के त्याग और संघर्ष की अनदेखी क्यों की जाती है?
पर्यवेक्षक सपरा, जो AICC के निर्देश पर इन तीनों जिलों में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयुक्त अध्यक्षों की तलाश में आए हैं, इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर चुप्पी साध गए। स्थानीय कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और बाहरी उम्मीदवारों को प्राथमिकता दिए जाने के मुद्दे पर उनकी चुप्पी ने इस विषय की संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया है।

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Author: jageshwar sinha

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