नई दिल्ली। सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी आयु, दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि और दांपत्य प्रेम को मजबूत बनाने के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक निर्जल उपवास करती हैं और माता करवा की पूजा करती हैं।
व्रत और पूजा का समय
चतुर्थी तिथि: 9 अक्टूबर रात 10:54 बजे से 10 अक्टूबर शाम 7:38 बजे तक
व्रत की तारीख: 10 अक्टूबर, शुक्रवार
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:16 बजे से 06:29 बजे तक
चंद्रोदय का समय: रात 08:47 बजे
किसकी पूजा करें?
यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश और माता करवा को समर्पित है। इसके साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय देव और चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है। महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर पति के हाथ से जल पीकर व्रत का पारायण करती हैं।
पूजा विधि
सुबह स्नान के बाद नए वस्त्र धारण करें और श्रृंगार करें।
निर्जल उपवास का संकल्प लेकर दिनभर व्रत रखें।
शाम को शिव-पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय और माता करवा की पूजा व कथा करें।
पूजा थाली में रोली, अक्षत, मिठाई और जल से भरा करवा रखें।
रात को चंद्रोदय के समय छलनी से चंद्र दर्शन कर जल अर्पित करें, फिर पति को देखकर उनके हाथ से जल पीकर व्रत खोलें।
